Net Margin, ROE, Debt Equity Ratio क्या है?
नमस्कार!! आज हम Net Margin (PAT Margin), ROE और Debt Equity Ratio के बारे मे जनेगे।
सब के बारे मे Details Analysis करेगे और ये सब का क्या Importance है? क्या मतलब है? केसे Net margin (PAT Margin), ROE और Debt Equity Ratio निकालते है ये सारा कुछ जानेगे।
In This Post
Net Margin (PAT Margin) क्या है? (What Is Net Margin In Hindi?)
Net margin यानि कंपनी actual मे कंपनी कितना profit कर रही है वो बताता है। इससे सही प्रॉफ़िट पता चलता है जो purchase और खर्चो को ध्यान मे रखके निकाला जाता है।
- PAT Margin Full Form – Profit After Tax Margin
- PAT Margin Formula = Sale Price – Purchase Price – Expenses
Example – एक पेन आपने 10 मे खरीदा ओर 20 मे बेचा जिसमे आपको 5 का खर्चा हुआ। तो 20-10-5= रूपय 5 का प्रॉफ़िट हुआ।
Profit margin हमेशा सेल्स पर निकलता है। तो जो भी प्रॉफ़िट आया उसको sales से divide करने से आपको PAT margin मिलेगा % मे।
तो हमारे case मे हमारा प्रॉफ़िट 5 है जिसमे 20 रूपय की sale पर है। तो हमारा PAT margin 25% (5/20*100) आया।
नेट मार्जिन हमे जो चीज़ बेची ओर कितने मे खरीदी उसपे कितना खर्चा हुआ वो बताता है। जो ROE से बिलकुल अलग चीज़ है जोकि देखने से एक लगती है। NET Margin सिर्फ sales, Expense, purchase से related है, ओर ROE हमे कितना Total invest किया ओर कितना उस पैसे को बढ़ाया वो बताता है।
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ROE (Return On Equity) क्या है? (What Is ROE Hindi?)
- ROE Full Form : Return On Equity
ROE यानि हमने कितने पैसे लगाय ओर कितना हमे Return मिला!
- जेसे Mr. X ने 10 रूपय की पेन 10 लेकर बाज़ार मे गया बेचने के लिए। तो 100 invest किया तो वो पेन 20 रूपय मे 100 पेन सारी बेचता है। यानि उसका ROE 100% आया मतलब जितना इन्वेस्ट किया उतना वापिस मिला double हुआ इसलिए। तो ROE 100% आया जोकि PAT Margin 50% है।
- PAT Margin Formula = sale price – purchase price – expenses/sales*100
- (10*20=200)-(10*10=100)/200*100
- (200-100)=100/200*100 =50%
- ROE = profit (Return)/investment*100
- 100 return/100 invest*100=100%
2.अब दूसरा Mr. Y 30 पेन 10 रूपय की एक लेकर बाज़ार मे गया ओर उसने वो पेन 15 रूपय के हिसाब से सारी पेन बेची। तो उसका PAT margin 33.33% है ओर ROI 150%
- PAT Margin Formula= sale price-purchase price- expenses/sales*100
- (15*30=450)-(10*300=300)/450*100
- 150/450*100=33.33%
- ROE= profit (Return)/investment*100
- (15*30=450)/(10*30=300)*100
- 450/300*100= 150%
तो पहली नज़र मे तो आपको MR X पसंद आया होगा क्यूकी उसकी net margin 50% था। लेकिन MR Y का profit margin 33.33% है
लेकिन ROE 150% है क्यूकी उसका मार्जिन कम है इसलिए वो ज्यादा बेच पा रहा है उसकी सारी 30 पेन बिक गए। तो किसी भी ratio या कोई भी चीज़ के 2 पहलू होते ही है अगर मरगीने कम है तो प्रॉफ़िट कम है लेकिन सेल्स ज्यादा है क्यूकी वो सस्ती बेच रहा है ओर RIO investment ओर Return पर है तो MR Y का ज्यादा है।
कोई भाई कंपनी का गोल यही होता ही की कम पैसे मे ज्यादा प्रॉफ़िट कमाए। तो दो तरीको से वो होता है जो हमने देखा की प्राइस ज्यादा करके प्रॉफ़िट बढ़ा दो या कम प्रॉफ़िट मे ज्यादा सेल करो। सेल ज्यादा तो प्रॉफ़िट भी ज्यादा होता है।
Debt Equity Ratio क्या है? (What Is Debt Equity Ratio Hindi?)
Debt यानि कर्जा जो की आपको interest के साथ चुकाना पड़ता है। जेसे की आपने अपने किसी friend 10000 रूपय लिए। 8% के हिसाब से 2 साल तक आप पैसे लोटा देगे। तो वो कर्जा है जो बैंक से , इंसानों से भी लिया जाता है। तो वो Debt है।
Equity यानि हिस्सा अगर आप 100000 रूपय लगा केआर business start कर रहे है तो आपने 2-3 लोग से 20000 रूपय ले कर उन लोगको अपने business मे हिस्सा दिया की आप को अपने हिस्से के हिसाब से प्रॉफ़िट मे से उतना हिस्सा मिलेगा। जेसे 25000 रूपय दिये तो वो 25% हिस्सा हुआ तो अगर आपको प्रॉफ़िट होगा तो उस इंसान को 25% प्रॉफ़िट मिलेगा। अगर loss होगा तो कुछ नही मिलेगा। क्यूकी आप उस business से हिस्सेदार है तो profit ओर loss दोनों आपको सहन करना पड़ेगा।
इस हिसाब से तो सबको लगता है की Equity अच्छा है। लेकिन अगर किसी कंपनी प्रॉफ़िट न सिखाती हो, growth अच्छी न हो तो investor नही मिलते है। ओर Debt तो आपको हर हल मे चूकना पड़ता है। वो भी interest के साथ।
ROE को हम कर्जा बढ़ा कर ROE बढ़ा सकते है। हम दो example से देखते है।
- एक कंपनी 100 करोड़ मार्केट से लेना चाहती है तो 50% equity और 50% Debt से एकठा करती है तो ए साल मे प्रॉफ़िट हुआ 20 करोड़ रूपय तो जो 50% डैब्ट लिया है उसका इन्टरेस्ट है 12% तो 6 करोड़ का व्याज आया तो 20 करोड़ प्रॉफ़िट-6 करोड़ व्याज=14 करोड़ नेट प्रॉफ़िट तो ROI= 14 करोड़/50 करोड़*100= 28%
- दूसरी कंपनी 100% equity लेती है तो 20 करोड़ प्रॉफ़िट/100 करोड़ इक्विटि= 20%।
तो ऐसे कंपनी ज्यादा कर्जा ले कर अपना ROE बढाती है की share holder को फाइदा हो। लेकिन उस कर्जे के कारण प्रॉफ़िट कम न भी हो रहा है ओर कर्जा हमे किसी भी हल मे चुकाना पड़ता है लॉस हो तब भी। तो जब सेल्सन हो रही हो कंपनी की कोई इंकम ना हो फिर भी लोन चुकाना पड़ता है जिसकी वजह से कंपनी की financial स्थिति बिगड़ सकती है या दिवालिया भी हो सकती है।
तो जितना ज्यादा Debt कम होगा कंपनी के पास उतना अच्छा है। लेकिन financial ओर asset management कंपनी मे आपको ये debt ratio नही देखना चाहिए क्यूकी वो लोग लोगो का पैसा लेकर ही invest करती है तो वो ज्यादा होगा। banking ओर financial industries के लिए हम दूसरा रैशियो देखेगे जो हम आगे industries wise analysis करते वक़्त देखेगे।
तो आज हमने देखा की हमे NET Margin से ज्यादा ROE Ratio देखना चाहिए ओर उसके ageist Debt देखना चाहिए की कंपनी ज्यादा कर्जा ले कर अपना ROE बढ़ा तो नही रही ना!!