भारत की दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2025) के नतीजे जारी किए हैं। कंपनी का मुनाफा पिछले साल की तुलना में 26% बढ़कर 2,834 करोड़ रुपये हो गया है।
इसके बावजूद, विप्रो के अमेरिकी डिपॉजिटरी रिसीट्स (ADRs) में 7% की भारी गिरावट देखी गई। यह खबर निवेशकों के लिए हैरान करने वाली है, क्योंकि मुनाफे में बढ़ोतरी के बाद आमतौर पर शेयरों में तेजी की उम्मीद की जाती है।
आइए, जानते हैं कि विप्रो के नतीजों में क्या खास रहा और शेयर में गिरावट की वजह क्या है।
विप्रो के Q4 नतीजों की मुख्य बातें
विप्रो ने जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में कई सकारात्मक आँकड़े पेश किए:
- नेट प्रॉफिट: 2,834.6 करोड़ रुपये, जो पिछले साल की समान तिमाही (2,249.8 करोड़ रुपये) से 26% ज्यादा है।
- राजस्व: 22,208.3 करोड़ रुपये, जो सालाना आधार पर 2.2% की मामूली गिरावट दर्शाता है।
- EPS (प्रति शेयर आय): 5.43 रुपये, जो पिछले साल के 4.32 रुपये से 25.7% ज्यादा है।
- ऑपरेटिंग मार्जिन: कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन 16.4% रहा, जो लागत नियंत्रण और ऑपरेशनल दक्षता को दर्शाता है।
कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए 1 रुपये प्रति शेयर का अंतिम डिविडेंड भी घोषित किया है, जिसे शेयरहोल्डर्स की मंजूरी के बाद जुलाई 2025 तक दिया जाएगा।
शेयर में 7% गिरावट की वजह क्या?
मुनाफे में बढ़ोतरी के बावजूद, विप्रो के ADRs (जो अमेरिकी बाजारों में ट्रेड होते हैं) में 7% की गिरावट आई। इसका मुख्य कारण कंपनी का कमजोर भविष्य गाइडेंस और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता है। विप्रो ने अगली तिमाही (Q1 FY26) के लिए राजस्व में 1-3% की गिरावट की आशंका जताई है। इसके पीछे कुछ कारण हैं:
- कमजोर डिमांड: वैश्विक स्तर पर आईटी सर्विसेज की माँग में कमी, खासकर अमेरिका और यूरोप में, विप्रो के लिए चुनौती बनी हुई है।
- क्लाइंट बजट में कटौती: कई क्लाइंट्स ने अपने आईटी खर्च को कम किया है, जिसका असर विप्रो की डील बुकिंग पर पड़ा है।
- प्रतिस्पर्धा: टीसीएस और इन्फोसिस जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में विप्रो का प्रदर्शन कुछ कमजोर रहा, जिसने निवेशकों का भरोसा डगमगाया।
विप्रो का सालाना प्रदर्शन
पूरा वित्तीय वर्ष 2024-25 विप्रो के लिए मिश्रित रहा। कंपनी का सालाना राजस्व 88,370 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल से 2.5% कम है। हालांकि, नेट प्रॉफिट 11,001.6 करोड़ रुपये रहा, जो सालाना आधार पर 8.9% ज्यादा है। कंपनी ने इस साल 14,768 नए कर्मचारियों को जोड़ा, जिससे कुल कर्मचारी संख्या 2.4 लाख हो गई। कर्मचारी छंटनी दर (एट्रिशन रेट) भी 14.2% से घटकर 12.8% हो गई, जो कंपनी की बेहतर HR नीतियों को दर्शाता है।
शेयर बाजार का हाल
15 अप्रैल 2025 को विप्रो का शेयर BSE पर 2.3% गिरावट के साथ 465 रुपये पर बंद हुआ। यह गिरावट ADRs की 7% की गिरावट के बाद भारतीय बाजार में भी दिखी। पिछले एक साल में विप्रो के शेयर ने 12% का रिटर्न दिया है, जो टीसीएस (18%) और इन्फोसिस (15%) से कम है। शेयर अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर (552.70 रुपये) से 15% नीचे है, लेकिन निम्नतम स्तर (375 रुपये) से काफी ऊपर है।
विप्रो की भविष्य की रणनीति
विप्रो के सीईओ श्रीनिवास पल्लिया ने कहा कि कंपनी अपने क्लाइंट्स के साथ डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और AI पर फोकस कर रही है। कुछ मुख्य रणनीतियाँ हैं:
- AI और टेक्नोलॉजी: विप्रो ने अपने AI प्लेटफॉर्म ‘WiPro ai360’ को और मजबूत किया है, जो क्लाइंट्स को ऑटोमेशन और डेटा एनालिटिक्स में मदद करता है।
- नई डील्स: Q4 में कंपनी ने 12 बड़ी डील्स साइन कीं, जिनमें हेल्थकेयर और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर शामिल हैं।
- कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन: लागत कम करने और ऑपरेशनल दक्षता बढ़ाने के लिए कंपनी ने कई कदम उठाए हैं, जैसे रिमोट वर्क मॉडल को और प्रभावी बनाना।
निवेशकों के लिए क्या है सलाह?
विप्रो के शेयर को लेकर विशेषज्ञों की राय मिश्रित है:
- खरीदारी का मौका: कुछ विश्लेषकों का मानना है कि 450-460 रुपये का स्तर खरीदारी के लिए अच्छा है, क्योंकि कंपनी का मुनाफा और डिविडेंड स्थिर है। टारगेट प्राइस 500-520 रुपये हो सकता है।
- सावधानी: कमजोर गाइडेंस और वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए, छोटी अवधि में शेयर में उतार-चढ़ाव रह सकता है। स्टॉप लॉस 440 रुपये रखें।
- लंबी अवधि: अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो विप्रो की AI और डिजिटल रणनीति भविष्य में फायदा दे सकती है।
जोखिम क्या हैं?
विप्रो के सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- वैश्विक मंदी: अमेरिका और यूरोप में आर्थिक मंदी का असर आईटी सेक्टर पर पड़ रहा है।
- कर्मचारी लागत: सैलरी बढ़ोतरी और टैलेंट रिटेंशन के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है।
- प्रतिस्पर्धा: टीसीएस और इन्फोसिस जैसे प्रतिस्पर्धी ज्यादा आक्रामक रणनीति अपना रहे हैं।
निष्कर्ष
विप्रो के Q4 नतीजों ने मुनाफे में शानदार बढ़ोतरी दिखाई, लेकिन कमजोर भविष्य गाइडेंस ने निवेशकों को निराश किया। कंपनी की AI और डिजिटल रणनीति लंबी अवधि में फायदा दे सकती है, लेकिन अल्पकालिक चुनौतियाँ बनी रहेंगी। अगर आप विप्रो के शेयर में निवेश की सोच रहे हैं, तो अपने जोखिम स्तर और निवेश अवधि को ध्यान में रखें। शेयर बाजार में धैर्य और रिसर्च ही सफलता की कुंजी हैं।