जानिए Startup से जुड़े शब्दों के मतलब, Startup या business अब होगा आसान।
आज कल startup का काफी craze चल रहा है और startup से जुड़े बहुत सारी series, shows भी आ रहे है। और आप सब ने shark tank का नाम तो सुना होगा। तो आपको भी कोई business शुरू करना है तो इन basic चीजों के बारे मे पात होना चाहिए। तो आज हम जानेगे Startup और business से जुड़े
In This Post
- 1 Startup Terminology
- 1.1 Startup Idea
- 1.2 Prototype
- 1.3 Minimum Viable Product (MVP)
- 1.4 Business Plan
- 1.5 Business Model
- 1.6 Pitch
- 1.7 Equity
- 1.8 Debt
- 1.9 Bootstrapped Startup
- 1.10 Valuation
- 1.11 Entrepreneur
- 1.12 Crowdfunding
- 1.13 Proof Of Concept
- 1.14 B2B Busienss
- 1.15 B2C Business
- 1.16 Pre Revenue
- 1.17 Gross Margin
- 1.18 Net Margin/Profit
- 1.19 Overhead Charge
- 1.20 Cash Flow Statement
- 1.21 Incubators
- 1.22 Accelerators
- 1.23 Angel Investor
- 1.24 Venture Capital Firm
- 1.25 Scalability
- 1.26 Business Agreement
- 1.27 Term Sheet
- 1.28 Customer Acquisition Cost
- 1.29 Total Addressable Market
- 1.30 Financial Projections
- 1.31 Patent
- 1.32 Trademark
- 1.33 Copyright
- 1.34 Royalty
- 1.35 Funding
- 1.36 Pre Seed Funding
- 1.37 Seed Round Funding
- 1.38 Series A Round Funding
- 1.39 Series B, C, D Funding
- 1.40 Cashflow
- 1.41 Sole Proprietorship
- 1.42 Partnership
- 1.43 Limited Liability Partnership
- 1.44 Private Limited Company
- 1.45 Public Limited Company
- 1.46 Joint Venture Company
- 1.47 NGO
- 1.48 Unlimited Company
- 1.49 Stealth Startup
- 1.50 Startup Bubble
- 1.51 USP
- 1.52 MRP
- 1.53 Pink Slip
- 1.54 ESOP
- 1.55 Sweat Equity
- 1.56 Convertible Note
- 1.57 SaaS
- 1.58 PaaS
- 1.59 Alpha Release
- 1.60 Beta Release
- 1.61 Burn Rate
- 1.62 Churn Rate
- 1.63 Growth Rate
- 1.64 Return on Investment
- 1.65 Bounce Rate
- 1.66 Retention Rate
- 1.67 White labeling
- 1.68 Go Public
- 1.69 Bridge Loan
- 1.70 Early Adopters
- 1.71 Exit Strategy
- 1.72 Pivot
- 1.73 First Mover Advantage
- 1.74 Brand
- 1.75 Product Market fit
- 1.76 Non-disclosure Agreement
- 1.77 Serial Entrepreneur
- 1.78 Competitive advantage
- 1.79 Target market
- 1.80 API
- 1.81 KPI
- 1.82 LTV
- 1.83 Hockey Stick Growth
- 1.84 Franchise
Startup Terminology
Startup Idea
आप क्या स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं, उसके आइडिया को स्टार्टअप आइडिया कहते हैं. इसके तहत ज्यादा जानकारी नहीं होती है, बल्कि सिर्फ एक आइडिया होता है. जो की unique होना चाहिए साथ मे प्रोब्लेम सोल्विंग होना चाहिए।
Prototype
एक ही बार ढेर सारे प्रोडक्ट बनाने से पहले एक सैंपल प्रोडक्ट बनाया जाता है, जिसे प्रोटोटाइप कहते हैं. बता दें कि यह सैंपल प्रोडक्ट असली प्रोडक्ट जैसा होता तो है, लेकिन बिल्कुल उसी की तरह काम नहीं कर पाता है.
Minimum Viable Product (MVP)
प्रोटोटाइप में जरूरी सुधार के बाद जब प्रोडक्ट मार्केट में जाने को तैयार हो जाता है तो उसे मिनिमम वाएबल प्रोडक्ट यानी एमवीपी कहते हैं. यह प्रोडक्ट बिल्कुल असली प्रोडक्ट की तरह काम करता है.
Business Plan
ये किसी भी बिजनेस का पूरा प्लान होता है. कैसे धीरे-धीरे बिजनेस बढ़ेगा, कहां से कमाई होगी, कितना खर्च होगा और कैसे बिजनेस को बड़ा बनाया जाएगा.
Business Model
इसमें ये बताया जाता है कि कमाई कैसे होगी और कितनी होगी यानी रेवेन्यू कैसे जनरेट होगा. इसमें रुपयों-पैसों की पूरी जानकारी होती है, जिसमें बताया गया होता है कि कैसे कमाई होगी.
Pitch
निवेशकों के सामने अपने स्टार्टअप आइडिया को प्रजेंट करने को पिच करना कहते हैं. Shark Tank India में तमाम स्टार्टअप शार्क यानी निवेशकों के सामने अपना आइडिया ही पिच करते हैं.
Equity
बिजनेस में हिस्सेदारी को इक्विटी कहते हैं. निवेशक को 10% इक्विटी देना मतलब 10% का मालिक बनाना.
Debt
बिजनेस को चलाने के लिए जो कर्ज लिया जाता है, उसे डेट कहा जाता है. इस पर ब्याज चुकाना पड़ता है.
Bootstrapped Startup
जब बिजनेस में सारा पैसा खुद लगाते हैं, कोई निवेशक नहीं होता, तो उसे बूटस्ट्रैप्ड स्टार्टअप कहते हैं. निवेश किया गया पैसे किसी से उधार लिया गया हो सकता है या फिर किसी बैंक से लिया गया कर्ज भी हो सकता है.
Valuation
यह कंपनी की वैल्यू होती है. अगर 10% इक्विटी के लिए निवेशक 1 करोड़ दे तो वैल्युएशन 10 करोड़ हुई. यानी किसी तय वक्त पर बिजनेस कितने रुपये में बिक सकता है.
Entrepreneur
जो खुद का बिजनेस शुरू करते हैं और मैनेजमेंट से लेकर फायदे-नुकसान हर चीज का रिस्क लेते हैं, आंत्रप्रेन्योर होते हैं.
Crowdfunding
इसके तहत प्रोडक्ट बनाने या उसे बाजार में उतारने के लिए लोगों से पैसा मांगा जाता है, जिसे क्राउडफंडिंग कहते हैं.
Proof Of Concept
यह आइडिया का सबूत होता है. जब बिजनेस के लिए आप निवेश लेते हैं, तो निवेशक प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट मांगते हैं. यानी प्रोटोटाइप जैसा ही होता है.
B2B Busienss
इसके तहत वह स्टार्टअप आते हैं, जिनके ग्राहक भी बिजनेस होते हैं. जैसे टायर बनाने वाले के लिए कार बनाने वाला ग्राहक है. यानि ki Business to business वाला constep होता है।
B2C Business
इसे D to C बिजनेस भी कहते हैं. इस मॉडल में कंपनी या स्टार्टअप अपने प्रोडक्ट या सर्विस सीधे ग्राहकों को देते हैं. यानि की Business to consumer
Pre Revenue
स्टार्टअप प्री-रेवेन्यू तब होता है जब कोई कमाई नहीं करता, निवेशक अनुमान लगाते हैं कि स्टार्टअप कितना कमा सकता है.
Gross Margin
प्रोडक्ट की लागत (कच्चे माल, लेबर, मैन्युफैक्चरिंग) और बेचने की कीमत के बीच के अंतर को ग्रॉस मार्जिन कहते हैं.
Net Margin/Profit
ग्रॉस मार्जिन में से प्रोडक्ट की मार्केटिंग, डिस्ट्रिब्यूशन, डिस्काउंट आदि का खर्च घटाने के बाद नेट मार्जिन निकलता है.
Overhead Charge
गोदाम या ऑफिस का रेंट, इंश्योरेंस, लीगल फीस जैसे खर्च इसमें आते हैं, जो प्रोडक्ट को बनाने या डिलीवरी से जुड़े नहीं होते.
Cash Flow Statement
इसमें कंपनी के पास पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है, कितना खर्च हो रहा है, सब कुछ लिखा जाता है.
Incubators
यह एक तरह की संस्था होती है जो नए-नए स्टार्टअप को उनके बिजनेस के शुरुआती दौर में उनकी मदद करती है.
Accelerators
यह भी एक तरह की संस्थाएं हैं, जो बिजनेस शुरू होने के बाद स्टार्टअप की ग्रोथ को स्पीड मुहैया कराने का काम करती हैं.
Angel Investor
किसी स्टार्टअप फाउंडर के परिवार या दोस्त जब पैसे निवेश करते हैं तो उन्हें एंजेल इन्वेस्टर कहा जाता है.
Venture Capital Firm
यह फर्म पहले लोगों से पैसे जुटाती हैं और फिर उन पैसों को स्टार्टअप्स में लगाकर रिटर्न कमाकर ग्राहकों को देती हैं.
Scalability
शार्क टैंक में आपने ये शब्द सुना होगा. इसका मतलब है भविष्य में किसी बिजनेस के बड़े होने की कितनी संभावना है.
Business Agreement
यह इस बात का एग्रीमेंट होता है कि एक बिजनेस किसी ग्राहक को क्या और कितने प्रोडक्ट कितने रुपये में दे रहा है.
Term Sheet
बिजनेस एग्रीमेंट से पहले कई बार प्रोडक्ट से जुड़ी नियम-शर्तों समेत तमाम जानकारियों वाली टर्म शीट साइन की जाती है.
Customer Acquisition Cost
CAC का मतलब है कि एक ग्राहक को बिजनेस से जोड़ने में स्टार्टअप को औसतन कितने रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.
Total Addressable Market
TAM का मतलब होता है कि आपके प्रोडक्ट-सर्विस यानी बिजनेस का अपेक्षित मार्केट कितना बड़ा हो सकता है.
Financial Projections
यह स्टार्टअप का फ्यूचर फाइनेंशियल प्लान होता है कि वह कैसे खर्चे उठाएगा और कैसे मुनाफा कमाएगा.
Patent
पेटेंट का मतलब है किसी प्रोडक्ट पर अपने नाम की मुहर लगाना, आपकी मर्जी के बिना वैसा प्रोडक्ट कोई नहीं बना सकता.
Trademark
किसी प्रोडक्ट की विशेष पहचान ट्रेडमार्क होता है, जैसे एप्पल का कटा हुआ सेब. ट्रेडमार्क हो जाने के बाद उसे कोई कॉपी नहीं कर सकता.
Copyright
यह पेटेंट और ट्रेडमार्क जैसा ही है, लेकिन यह कॉन्टेंट के लिए होता है. किताब, गाना, फिल्म आदि के कॉपीराइट होते हैं.
Royalty
अगर आपके पास किसी चीज का कॉपीराइट या पेटेंट लिया है और उसे कोई दूसरा बनाकर बेचता है तो वह आपको रॉयल्टी चुकाएगा.
Funding
स्टार्टअप को जब पैसों की जरूरत होती है तो वह किसी निवेशक से पैसे लेकर बदले में उसे अपने बिजनेस की कुछ इक्विटी या हिस्सेदारी देता है.
Pre Seed Funding
जब कोई स्टार्टअप अपने आइडिया पर काम कर रहा होता है तो प्रोटोटाइप बनाने के लिए वह प्री सीड फंडिंग उठाता है.
Seed Round Funding
जब स्टार्टअप अपना प्रोटोटाइप बना लेता है तो उसे बाजार में ले जाकर टेस्ट करने के लिए सीड राउंड की फंडिंग उठाता है.
Series A Round Funding
जब स्टार्टअप का बिजनेस चलने लगता है तो उसे बढ़ाने और मुनाफा कमाने लायक बनाने के लिए सीरीज ए राउंड की फंडिंग उठाई जाती है.
Series B, C, D Funding
जब कोई स्टार्टअप अपने बिजनेस को और ज्यादा बढ़ाना होता है तो उसकी तरफ से बी, सी, डी राउंड की फंडिंग उठाई जाती है.
Cashflow
आपके बिजनेस में जो पैसा आता है और जो बाहर जाता है, उस पूरे को कैश फ्लो कहते हैं. अगर यह पॉजिटिव है तो अच्छी बात है, निगेटिव है तो आपको सुधार करने की जरूरत है.
Sole Proprietorship
यह एक ऐसा बिजनेस होता है, जिसका सिर्फ एक ही मालिक होता है. यह वह शख्स होता है, जो इसे शुरू करता है.
Partnership
इसमें एक से अधिक लोग पार्टनर बनकर बिजनेस करते हैं. इसे 2 से लेकर 20 लोग साथ मिलकर शुरू कर सकते हैं.
Limited Liability Partnership
यह ऐसी पार्टनरशिप होती है, जिसमें जिम्मेदारी लिमिटेड होती है. यानी नुकसान होने पर पार्टनर्स की संपत्ति सुरक्षित रहती है.
Private Limited Company
इसमें कम से कम 2 और अधिक से अधिक 200 सदस्य हो सकते हैं. इसमें भी हिस्सेदारों की लायबिलिटी सीमित होती है.
Public Limited Company
जब कोई कंपनी आईपीओ लाती है और जनता को शेयर देकर पैसे जुटाती है तो वह पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन जाती है.
Joint Venture Company
इसमें दो या दो से अधिक कंपनियां एक साथ मिलकर बिजनेस करती हैं, जैसे HDFC और ERGO का ज्वाइंट वेंचर है.
NGO
Non-Governmental Organizations खास मकसद से बनती हैं, जो मुनाफा कमाने के बजाय लोगों की मदद करती हैं.
Unlimited Company
इसमें कंपनी में मालिकों की लायबिलिटी अनलिमिटेड होती है. यानी नुकसान होने पर निजी संपत्ति भी खतरे में पड़ सकती है.
Stealth Startup
इनके बारे में शायद ही आपने सुना हो. यह ऐसे स्टार्टअप होते हैं जो सबसे छुपकर काम करते हैं और अपने बिजनेस, फंडिंग, प्रोडक्ट यहां तक कि नाम भी किसी को पता नहीं चलने देते.
Startup Bubble
यह स्टार्टअप फंडिंग से जुड़ा शब्द है. जब निवेशकों की तरफ से स्टार्टअप को बहुत हाई वैल्युएशन दी जाने लगती है तो उसकी तुलना स्टार्टअप बबल से की जाती है, जो कभी भी फट सकता है.
USP
इसे Unique Selling Proposition कहते हैं. यानी वो खास बात जो आपके बिजनेस को कॉम्पटीटर्स से अलग बनाती है.
MRP
इसे Maximum Retail Price कहते हैं. यह किसी प्रोडक्ट की वो कीमत होती है, जिससे अधिक पर उसे बेचना गैर-कानूनी होता है.
Pink Slip
अगर किसी कर्मचारी को नौकरी से निकालना होता था तो उसे गुलाबी स्लिप दी जाती थी. डिजिटल दौर में अब ई-मेल से ही काम चल जाता है.
ESOP
इसे Employee Stock Option Plan कहते हैं. इसके तहत कंपनी के शेयर दिए जाते हैं, जो कर्मचारी की सीटीसी का हिस्सा होता है.
Sweat Equity
यह भी ESOP जैसा ही होता है. इसके तहत कंपनी बनने के 1 साल बाद ही इक्विटी दी जाती है. इसका 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है.
Convertible Note
इसके तहत एक स्टार्टअप किसी निवेशक से एक लोन लेता है और भविष्य में ब्याज समेत पैसा लौटाने के बजाय इक्विटी देने का वादा करता है.
SaaS
इसे Software-as-a-Service कहते हैं. इसमें ग्राहकों को सब्सक्रिप्शन लेकर सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने की पेशकश की जाती है.
PaaS
SaaS कंपनियों को सॉफ्टवेयर चलाने के लिए प्लेटफॉर्म चाहिए. वह अपना प्लेटफॉर्म ना बनाकर Platform-as-a-Service कंपनियों से सर्विस ले सकती हैं.
Alpha Release
जब कोई प्रोडक्ट बनता है तो सबसे पहले मैनेजमेंट या कंपनी के अंदर के लोग उसकी टेस्टिंग करते हैं, इसे Alpha Release कहा जाता है.
Beta Release
कंपनी में टेस्टिंग के बाद जब प्रोडक्ट को पब्लिक से टेस्ट कराने और फीडबैक के लिए जारी किया जाता है, तो उसे Beta Release कहा जाता है.
Burn Rate
बिजनेस को चलाते रहने के लिए कई स्टार्टअप हर महीने कुछ नुकसान उठाते हैं, जिसे बर्न रेट या रन रेट कहा जाता है.
Churn Rate
किसी बिजनेस में एक निश्चित अवधि के दौरान कंपनी के सब्सक्रिप्शन को छोड़ने वाले ग्राहकों की दर को चर्न रेट कहा जाता है.
Growth Rate
साल दर साल या महीने दर महीने के हिसाब से बिजनेस कितना बढ़ रहा है, उसे ग्रोथ रेट कहा जाता है. यह चर्न रेट से ज्यादा होना चाहिए.
Return on Investment
ROI का मतलब है कि किसी निवेशक ने आपके स्टार्टअप में जो पैसे लगाए, उस पर उसे एक निश्चित अवधि में कितना रिटर्न मिला.
Bounce Rate
यह दिखाता है कि कितने ग्राहक आपके बिजनेस की वेबसाइट पर आकर उसे छोड़कर कहीं और चले जाते हैं. ई-कॉमर्स में यह बहुत खास आंकड़ा है.
Retention Rate
इसे रिटर्निंग यूजर रेट भी कहा जाता है. इसका मतलब है कि कितने ग्राहक एक बार प्रोडक्ट या सर्विस लेने के बाद दोबारा आते हैं.
White labeling
जब किसी प्रोडक्ट को बनाने वाला यानी मैन्युफैक्चरर उस पर अपनी ब्रांडिंग ना करते हुए ग्राहक की ब्रांडिंग करता है तो उसे वाइट लेबलिंग कहते हैं.
Go Public
स्टार्टअप की दुनिया में किसी ब्रांड का पब्लिक जाना उसे कहते हैं जब वह आईपीओ लाता है. इसके जरिए कंपनी जनता से पैसे जुटाती है.
Bridge Loan
एक ब्रिज लोन दो हफ्तों से लेकर 2-3 साल तक का हो सकता है. दो राउंड की फंडिंग के बीच में पैसों की कमी को पूरा करने के लिए स्टार्टअप ब्रिज लोन लेते हैं.
Early Adopters
जैसा कि नाम से ही साफ है, जो लोग शुरुआती दौर में ही किसी प्रोडक्ट को ट्राई करते हैं, उन्हें अर्ली एडॉप्टर कहते हैं. आइडिया टेस्टिंग के लिए यह काम के होते हैं.
Exit Strategy
जब एक निवेशक किसी स्टार्टअप में पैसे डालता है तो वह ये देखता है कि कब वह अपनी हिस्सेदारी बेचकर मुनाफा कमाएगा, इसे ही एग्जिट स्ट्रेटेजी कहते हैं.
Pivot
आसान भाषा में जब कोई कंपनी अपनी दिशा बदलती है तो उसे Pivot कहते हैं. जब बिजनेस मॉडल ठीक से ना चले तो स्टार्टअप के लिए Pivot करना जरूरी होता है.
First Mover Advantage
जब कोई यूनीक प्रोडक्ट पहली बार मार्केट में उतरता है और लोग उसे तेजी से इस्तेमाल करने लगते हैं तो उसे फर्स्ट मूवर एडवांटेज कहते हैं. जैसे पेटीएम.
Brand
एक कंपनी के ब्रांड से पता चलता है कि उसके तहत क्या बेचा जा रहा है. यह कंपनी के नाम से अलग भी हो सकता है. इससे ग्राहकों के दिमाग में कंपनी की एक तस्वीर बनती है.
Product Market fit
जब ग्राहकों को ब्रांड से जोड़ने की लागत तमाम पुराने और नए ग्राहकों की वैल्यू से कम होती है, तो ये कहा जाता है कि उस स्टार्टअप ने प्रोडक्ट मार्केट फिट टेस्ट कर लिया है.
Non-disclosure Agreement
कई स्टार्टअप में नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट साइन करवाया जाता है. इसके तहत दो पार्टियां इस बात पर सहमत होती हैं कि एक तय समय तक स्टार्टअप की कुछ बातों को सीक्रेट रखा जाएगा.
Serial Entrepreneur
सीरियल आंत्रप्रेन्योर उस शख्स को कहते हैं जो एक के बाद एक अपने क्रिएटिव आइडिया के साथ बिजनेस शुरू करता जाता है और वह सभी बिजनेस सफल होते जाते हैं.
Competitive advantage
किसी भी स्टार्टअप में पैसे लगाने से पहले निवेशक इसके बारे में पूछते हैं. वह जानना जाते हैं कि कॉम्पटीटर की तुलना में आपके स्टार्टअप में क्या खास है.
Target market
यह वो मार्केट होता है, जिसके लिए आपने स्टार्टअप शुरू किया होता है. आपको ये तय करना होता है कि आपका टारगेट मार्केट युवा हैं, महिलाएं हैं, बच्चे हैं या कोई और हैं.
API
एक एपीआई वह चीज होती है, जिसकी मदद से दो एप्लिकेशन एक साथ काम करती हैं. आज के वक्त में स्टार्टअप्स को टेक्नोलॉजी लागू करने के लिए इसकी जरूरत पड़ती है.
KPI
इसकी फुल फॉर्म होती है Key Performance Indicators, जिससे स्टार्टअप की परफॉर्मेंस जज की जाती है, यह ग्राहक को लाने की कॉस्ट, रिकरिंग रेवेन्यू, प्रॉफिट आदि हो सकते हैं.
LTV
इसका मतलब है ग्राहक की लाइफ टाइम वैल्यू. इसे निकालने के लिए प्रति अकाउंट एवरेज रेवेन्यू को ग्रॉस मार्जिन से गुणा कर के कस्टमर चर्न रेट से भाग देना होता है.
Hockey Stick Growth
जब कोई स्टार्टअप कुछ वक्त तक लगातार ना के बराबर ग्रोथ करता है और फिर अचानक से बढ़ने लगता है तो वह हॉकी जैसा चार्ज बनाता है, इसे ही हॉकी स्टिक ग्रोथ कहते हैं.
Franchise
जब कोई बिजनेस अपने बिजनेस को बढ़ाना चाहता है तो उसके सामने दो तरीके होते हैं. पहला ये कि वह खुद ही अलग-अलग जगह अपने बिजनेस की ब्रांच खोल दे. वहीं दूसरा ये कि वह अपनी फ्रेंचाइजी दे दे. फ्रेंचाइजी लेने वाले से कंपनी एक फ्रेंचाइजी फीस चार्ज करती है. वहीं एक रॉयल्टी फीस भी हर महीने या हर साल चुकानी होती है, जो कंपनी की सेल्स पर निर्भर होती है. जो भी फ्रेंचाइजी लेता है, वह प्रोडक्ट में कोई बदलाव नहीं कर सकता है. जो नियम या प्रोडक्ट को बनाने के तरीके पहले से तय हैं, उनका ही पालन करना होता है.