Share Market मे Share कब खरीदना चाहिए?
share market मे सबसे ज्यादा important होता है की share को कब खरीदना चाहिए और कब बेचना चाहिए। अगर आपका फेसला सही नही रहता तो आपको बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा।
इस post मे आपको बताने वाली हु की share कब खरीदने चाहिए। और इससे आपको ये भी पता लगेगा की कोनसी कंपनी के share खरीदने चाहिए…
किसी भी शेयर को खरीदने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि किस कंपनी का शेयर खरीदे मतलब सबसे पहले आप Fundamental और Technical research करके अपना पसंदीदा शेयर चुन लें.
अगर आप Fundamental और Technical research के बारे नहीं जानते हैं तो आपको बता दें कि किसी भी शेयर को खरीदने से पहले हमें उस कंपनी के शेयर में कई फैक्टर देखने पड़ते हैं जैसे―
Fundamental Research:-
- कंपनी का बिजनेस कैसा चल रहा है,
- कंपनी का बिजनेस मॉडल क्या है और कंपनी पैसे कैसे कमाती है?
- कंपनी के मैनेजमेंट में लोग कैसे हैं,
- कंपनी ने कितना कर्ज लिया हुआ है
- क्या वह उसका भुगतान करने में सक्षम है,
- वह कंपनी शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद यानी कि आईपीओ आने के बाद अब तक कितना रिटर्न्स अपने निवेशकों को दे चुकी है,
- उस कंपनी के पास क्या कंपटीशन एडवांटेज है जो उस सेक्टर की बाकी कंपनियों से उसे अलग बनाता है?
- भविष्य में उस कंपनी की क्या योजनाएं हैं?
आपको शेयर खरीदने से पहले इन सभी सवालों के जवाब पता कर लेना चाहिए. और आप जब इन सब सवालों के सही जवाब खोजते हैं तो वह Fundamental research करने के अंदर आता है
Technical Research:-
और वहीं दूसरी ओर जब आप कंपनी के शेयर का चार्ट पेटर्न देखते हैं और कंपनी ने कब अपना ऑल टाइम हाई प्राइस या ऑल टाइम लो प्राइस टच किया था जिसके आधार पर आप निर्णय ले सके कि अभी शेयर महंगा है या सस्ता…. तो ये सभी टेक्निकल एनालिसिस के अंतर्गत आता है।
- वैसे कोई शेयर कितना महंगा है या सस्ता यह जानने के लिए आपको पहले PE ratio के बारे में जरूर पता कर लेना चाहिए।
इसके अलावा शेयर के टेक्निकल एनालिसिस में काफी सारी चीजें आती हैं जैसे मूविंग एवरेज, ट्रेंडलाइन, अपट्रेंड, डाउनट्रेंड, इंडिकेटर, कैंडल स्टिक आदि सभी चीजें शेयर की टेक्निकल रिसर्च करते वक्त बहुत जरूरी होती हैं.
अगर देखा जाए तो शेयर मार्केट में दो प्रकार के लोग होते हैं ट्रेडर और इन्वेस्टर (जो लोग फंडामेंटल एनालिसिस करके शेयर खरीदते हैं उन्हें इन्वेस्टर कहते हैं और जो लोग टेक्निकल एनालिसिस करके शेयर खरीदते हैं उन्हें ट्रेडर कहते हैं)
- इन्वेस्टिंग के मुकाबले ट्रेडिंग काफी रिस्की होती है जिसमें लोग इंट्राडे ट्रेडिंग या स्विंग ट्रेडिंग जबकि इन्वेस्टर लोग लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करते हैं उदाहरण के लिए भारत में शेयर मार्केट के सबसे अमीर इन्वेस्टर ‘राकेश झुनझुनवाला’.
Share kab kharide― अब आइए अपने मुख्य सवाल पर आते हैं कि आखिर शेयर कब खरीदे?
अब जब आपने शेयर चुन लिया है और आपको पता है कि कौन सा शेयर आपको लेना चाहिए तो क्या तुरंत जाकर उस शेयर को खरीद लेना चाहिए या नहीं?
इसका जवाब केवल हां या ना नहीं हो सकता बल्कि यह थोड़ी बहुत चीजों पर निर्भर करता है जैसे― अगर आप लंबे समय के लिए शेयर में निवेश करने जा रहे हैं तो आप किसी भी समय को खरीद सकते हैं
लेकिन ध्यान रखें कि वह अपने ऑल टाइम हाई प्राइस पर ना ट्रेड हो रहा हो (यह आप शेयर का चार्ट देखकर पता लगा सकते हैं) अगर शेयर अब तक के सबसे ज्यादा प्राइस पर मिल रहा है तो थोड़ा नीचे आने का इंतजार करें और जब वह थोड़ा बहुत नीचे आ जाए तो तुरंत उसे खरीद लें.
लेकिन ध्यान रखिए: हो सकता है कि कोई शेयर नीचे आए ही नहीं…. वह ऊपर ही ऊपर जाता रहे और फिर बाद में आपको पछताना पड़े और आपको लगे कि काश मैं उस समय खरीद लेता तो अच्छा रिटर्न बन जाता.
इसीलिए मैंने पहले कहा कि आपको शेयर की फंडामेंटल एनालिसिस करनी चाहिए और फिर निर्णय लेना चाहिए, जब आप कंपनी के बारे में अच्छे से रिसर्च कर लेते हैं तो आपको इन सभी छोटे-मोटे सवालों के बारे में ज्यादा नहीं सोचना पड़ता है और एक अच्छा और समझदार निवेशक भी वही होता है जो कंपनी का बिजनेस देखकर निवेश करें ना कि सिर्फ शेयर का प्राइस या चार्ट देखकर।
शेयर का चार्ट देखना ट्रेडर लोगों का काम होता है ना कि निवेशकों का (आपको ट्रेडर और निवेशक में साफ-साफ फर्क पता होना चाहिए)
मैंने नीचे कुछ स्थितियां बताई हैं जब शेयर को खरीदना अच्छा होता है… जब आप ऐसी स्थितियों में शेयर को खरीदते हैं तो आपके प्रॉफिट और अच्छा रिटर्न कमाने के चांसेस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं
तो आइए इनके बारे में जानते हैं―
अगर कोई मुझसे पूछे कि शेयर खरीदने का सबसे अच्छा समय कौन सा है तो मैं उसको शेयर की इंटरिंसिक वैल्यू या वास्तविक वैल्यूएशन से कम कीमत पर शेयर खरीदने की सलाह दूंगा (यह मेरा सबसे पसंदीदा तरीका है जिससे आप सबसे ज्यादा प्रॉफिट कमा सकते हैं)
आप मेरा इंटरिंसिक वैल्यू वाला पोस्ट जरुर पढ़ लेना उसमें मैंने डिस्काउंटेड कैश फ्लो मेथड के जरिए किसी भी शेयर की इंटरिंसिक वैल्यू को कैलकुलेट करने के बारे में बताया है।
ज्यादा कुछ नहीं बस आप इतना समझ लीजिए कि― आपको हमेशा undervalued शेयर को खरीदना चाहिए यानी कि जब से अपनी वास्तविक कीमत से बहुत कम प्राइस पर मार्केट में ट्रेड हो रहा हो।
लेकिन अंडरवैल्यूड यह सबसे सस्ते शेयर खरीदने के चक्कर में आप पेनी स्टॉक में मत फस जाना क्योंकि लोग 1 रुपये से कम कीमत वाले शेयर या 10 रुपये से कम कीमत वाले शेयर खरीद लेते हैं लेकिन बाद में उनका बहुत नुकसान हो जाता है।
इसलिए आपको ना तो सस्ते शेयर में फसना है और ना तो सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले शेयर के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि ऐसे तो आपको मार्केट में 1000% या 2000% या 5000% रिटर्न देने वाले स्टॉक भी मिल जाएंगे लेकिन इस प्रकार के शेयर जितनी तेजी से लोगों को करोड़पति बना देते हैं उतनी ही तेजी से आपको कंगाल भी कर देते हैं।
इसीलिए पहले हो सके तो स्टॉक की फंडामेंटल रिसर्च करें और फिर देखे कि क्या वह शेयर अपनी इंटरिंसिक वैल्यू से कम प्राइस पर मिल रहा है या नहीं, अगर हां तो तुरंत खरीद लें ( लेकिन ध्यान रहे फंडामेंटल एनालिसिस करने के बाद)
आपको पता होगा शेयर मार्केट में लिस्टेड हर कंपनी प्रत्येक 3 महीनों में अपने क्वार्टरली रिजल्ट (Quarterly results) पेश करती है जिसमें कंपनी ने कितना रेवेन्यू किया है और कितना खर्चा किया है इसके अलावा पिछले क्वार्टर के मुकाबले कितना नेट प्रॉफिट किया है, यह सभी चीजें इसमें बताई होती हैं।
आपको इन सभी चीजों को देखकर ही शेयर खरीदने का निर्णय लेना चाहिए। अगर कंपनी के क्वार्टरली रिजल्ट अच्छे हैं तो ही आपको उस शेयर को खरीदना चाहिए,
लेकिन अगर पिछली क्वार्टर के मुकाबले कंपनी के sales और प्रॉफिट कम हुए हैं तो आपको शेयर नहीं खरीदना चाहिए और पता करना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ….
क्वार्टरली रिजल्ट की तरह ही कंपनी हर साल वार्षिक रिपोर्ट पब्लिश करती है जिसमें कंपनी ने पूरी साल क्या-क्या किया और भविष्य में कंपनी के क्या प्लांस हैं इसके बारे में बताया जाता है इसलिए आपको कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट भी पढ़ना चाहिए।
लेकिन वार्षिक रिपोर्ट काफी बड़ी होती है इसलिए उसमें कुछ मुख्य मुख्य बिंदु ही आपको पढ़ना चाहिए लेकिन ज्यादातर बार आपको निर्णय केवल क्वार्टरली रिजल्ट को देखकर ही लेना पड़ता है क्योंकि वह हर 3 महीने में बदलते रहते हैं।
इसके अलावा आपको कंपनी के 3 सबसे महत्वपूर्ण फाइनेंसियल स्टेटमेंट जरूर देखना चाहिए जोकि हैं―
- बैलेंस शीट
- प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट (इनकम स्टेटमेंट)
- कैश फ्लो स्टेटमेंट
जब आप कंपनी की फंडामेंटल रिसर्च करेंगे तो आपको इन तीनों चीजों की जरूरत पड़ेगी किसी भी स्टॉक की ये तीनों चीजें आप moneycontrol वेबसाइट के द्वारा आसानी से चेक कर सकते हैं.
फाइनेंशियल स्टेटमेंट देख कर ही आपको किसी भी शेयर की असलियत पता चलती है कि आखिर वह शेयर कितना मजबूत है, यह पता चलता है. फाइनेंसियल स्टेटमेंट किसी भी कंपनी की पूरी पिक्चर दिखाते हैं जिससे कंपनी की पूरी पोल आपके सामने खुलती है
क्योंकि मीडिया में या बड़े-बड़े ब्रोकरेज हाउस वाली वेबसाइट आपको टारगेट प्राइस देकर जो शेयर खरीदने को कहती हैं आपको उससे पहले एक बार कंपनी के फाइनेंसर नंबर जरुर चेक करनी चाहिए, यह एक्शन हमें हर शेयर को खरीदने से पहले लेना चाहिए तभी आप अपने इन्वेस्टमेंट पर अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं।
जब भी कोई कंपनी पहली बार शेयर मार्केट में स्टॉक एक्सचेंज (NSE या BSE) पर लिस्ट होती है तो उसे IPO (इनिशियल पब्लिक आफरिंग) बोला जाता है.
जब भी कोई कंपनी अपने व्यापार को बढ़ाना चाहती है तो वह छोटे निवेशक या आम जनता से पैसा जुटाने के लिए अपना आईपीओ लाती है
जिसमें प्राथमिक मार्केट के द्वारा आप और हम जैसे लोग कंपनी के शेयर को खरीदते हैं और जब कंपनी अपना पूरा पैसा जुटा लेती है तो कुछ ही दिनों में वह शेयर द्वितीयक मार्केट में स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाती है।
जो लोग आईपीओ के समय कंपनी के शेयर खरीदते हैं वह बहुत कम समय में उस स्टॉक के लिस्टेड होने के बाद बहुत ज्यादा रिटर्न कमा लेते हैं इसका सबसे अच्छा उदाहरण है―
- अभी कुछ समय पहले Nykaa कंपनी का IPO आया था जो की धमाकेदार साबित हुआ. इसमें कितने पैसे लगाए थे उन्होंने अपने पैसे पर बहुत बढ़िया रिटर्न कमाए ( इस return को Listing gain कहा जाता है)
लेकिन याद रखिए; बहुत सारी ऐसी कंपनियां भी अपना IPO लाते हैं जिनमें हमें बिल्कुल भी Listing gain नहीं मिलता है बल्कि उल्टा आपने कितना पैसा लगाया होता है उसका भी नुकसान हो जाता है.
आपको पता होना चाहिए कि ज्यादातर कंपनियों का IPO बुल रन मार्केट में ही आता है यानी कि जब निफ्टी और सेंसेक्स ऊपर जाता है तभी नई कंपनियां शेयर मार्केट में आईपीओ लाती हैं अगर आप ध्यान से देखोगे तो bear run मार्केट में ना के बराबर कंपनियां शेयर मार्केट में ipo लाती हैं।
शेयर मार्केट में जब अपट्रेंड या तेजी होती है उसे बुल मार्केट कहते हैं जबकि इसके विपरीत जब शेयर मार्केट में मंदी होती है और पूरा मार्केट क्रैश हो रहा होता है तो उसे बियर मार्केट कहते हैं।
Bull & bear market
अब आइए लास्ट तरीका जानते हैं कि शेयर को कब खरीदना चाहिए―
आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगे कि ये क्या बकवास है?
ज्यादातर लोग तो मार्केट क्रैश होने पर अपना पोर्टफोलियो बेचने लगते हैं और मैं खरीदने की बात कर रहा हूं.
यह बिल्कुल सच है!
लेकिन एक सच यह भी है कि स्टॉक मार्केट में सबसे ज्यादा पैसा वही लोग कमाते हैं―
- जो undervalued price पर शेयर को खरीदते हैं,
- जो उस समय को खरीदते हैं जब कोई नहीं खरीदता,
- जो शेयर के चार्ट पर नहीं बल्कि कंपनी के बिजनेस पर भरोसा करते हैं
- जो मार्केट क्रैश होने का कारण जानते हैं
- जो जानते हैं कि मार्केट कब रिकवर हो सकता है
जो यह सब चीजें जानता है उसी को हम एक “इंटेलिजेंट इन्वेस्टर’ कह सकते हैं.
और यह केवल मैं नहीं कह रहा हूं बल्कि दुनिया के सबसे अमीर और सक्सेसफुल इन्वेस्टर वारेन बुफे कहते हैं कि―
Be Fearfull when market is Greedy
Be Greedy when market is Fearfull
आप इसका मतलब समझ ही गए होंगे कि आपको उस समय स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहिए जब पूरा मार्केट डरा हुआ हो क्योंकि उस समय आप को सबसे ज्यादा डिस्काउंट पर और सबसे अच्छी कंपनियों के शेयर सबसे सस्ते कीमत पर मिल जाएंगे.
इसके ऊपर इन्वेस्टिंग की सबसे अच्छी किताब “द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर” भी लिखी जा चुकी है (जिसे इन्वेस्टिंग की बाइबिल भी कहा जाता है) जिसे वारेन बुफे ने कई बार पढ़ने को रीकमेंड किया है।
वो कहते हैं कि यह किताब दुनिया में इन्वेस्टिंग के ऊपर लिखी जाने वाली सबसे अच्छी किताब है जिसने मेरी जिंदगी बदल दी और अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो आपको इसे जरूर पढ़ना चाहिए।
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि आखिर क्यों आपको मार्केट क्रैश होने के बाद शेयर खरीदना चाहिए. इसका सबसे अच्छा और सबसे प्रैक्टिकल उदाहरण है―
- अभी 2020 में जो इंडिया में lockdown लगा था और कोविड के कारण पूरा मार्केट क्रैश हो गया था उस समय आधे से ज्यादा लोगों ने अपने खरीदे हुए शेयर को बेच दिया था
- लेकिन जिन लोगों ने मार्केट क्रैश के बावजूद भी शेयर को नहीं बेचा और होल्ड करके रखे रहे या फिर वो लोग जिन्होंने मार्केट क्रैश के वक्त शेयर खरीदे उन्होंने मार्केट की खबर होने पर सबसे ज्यादा पैसा कमाया।
और यह एक बार नहीं कई बार हो चुका है… जैसे 2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद भी जब मार्केट क्रैश हुआ था तो उसके कुछ ही समय बाद वह दुगनी तेजी से रिकवर हुआ और एक समझदार निवेशक यह जानता है
इसलिए आपको मार्केट में मंदी आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि इस मौके का फायदा उठाना चाहिए।