Financial Planning के 7 नियम, इन्हें अपना लिया तो जिंदगी में कभी नहीं होगी पैसों की कमी!
फाइनेंशियल प्लानिंग आपको अपने करियर की शुरुआत से ही शुरू कर देनी चाहिए. आइए जानते हैं फाइनेंशियल प्लानिंग के 7 नियम, जिन्हें अगर आपने अपना लिया तो आपको जिंदगी में कभी पैसों की दिक्कत से नहीं जूझना पड़ेगा.
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Financial Planning Rule
1- सैलरी-बचत=खर्चा
आपका पहला नियम ये होना चाहिए कि जो आप कमाएंगे, पहले उसमें से एक हिस्सा बचाएंगे और फिर जो पैसा बचेगी, उससे अपने रोजमर्रा के खर्चे पूरे करेंगे. इसके लिए आपको पहले कुछ लक्ष्य तय करने होंगे और फिर उन्हीं के हिसाब से सेविंग शुरू कर देनी होगी.
इसके बाद ये सुनिश्चित करें कि हर महीने आपकी सैलरी में से बचत का हिस्सा तय जगह पर पहुंच जाए. ध्यान रहे कि बचत के पैसों को सिर्फ जमा ना करें, बल्कि उसे अलग-अलग लक्ष्यों के हिसाब से कहीं इन्वेस्ट करें.
जैसे रिटायरमेंट के लिए पीपीएफ या एनपीएस में पैसे लगाएं. बेटी के भविष्य के लिए सुकन्या समृद्धि योजना में पैसे डालें. ध्यान रहे, ये सब आप भविष्य के लिए प्लान कर रहे हैं तो ये जरूर कैलकुलेट करें कि आपके निवेश की वैल्यू भविष्य में कितनी रहेगी, आपकी जरूरतें पूरी होंगी या नहीं, उसी हिसाब से निवेश करें.
2- 50-30-20 नियम
यह नियम दिखाता है कि आपको अपनी सैलरी का कितना हिस्सा खर्च करना चाहिए और कितना हिस्सा बचाना चाहिए. आपकी सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा खर्चों में जाना चाहिए, जैसे घर का किराया, ग्रॉसरी, आदि. वहीं 30 फीसदी हिस्सा छोटी और लंबी अवधि की सेविंग पर खर्च करें. इसके अलावा 20 फीसदी हिस्सा आउटिंग, फूड, ट्रैवल आदि पर खर्च कर सकते हैं. आप चाहे तो इस नियम को अपने हिसाब से थोड़ा बदल भी सकते हैं.
3- 20-4-10 का नियम
ये नियम उस वक्त आपकी मदद करेगा, जब आप कोई कार खरीदने की सोच रहे हैं. यहां 20 का मतलब है कि कार की कीमत का करीब 20 फीसदी डाउन पेमेंट करें. हालांकि, ये उसी सूरत में करें, जब पैसे कम हों, वरना जितनी ज्यादा हो उतनी ज्यादा डाउन पेमेंट कर दें. यहां 4 का मतलब है कि इससे ज्यादा साल के लिए फाइनेंस ऑप्शन ना लें. यानी 4 साल के अंदर-अंदर कार का पूरा भुगतान कर दें. वहीं 10 का मतलब है कि आपकी सैलरी का कितना फीसदी हिस्सा कार लोन की ईएमाई में जा सकता है. ध्यान रहे कि इससे ज्यादा हिस्सा ईएमआई में ना जाए.
4- इंश्योरेंस जरूर लें
हर शख्स को अपनी सालाना सैलरी का करीब 10 गुना बड़ा लाइफ इंश्योरेंस जरूर लेना चाहिए. ताकि अगर आपको कुछ हो जाता है तो उस स्थिति में आपका परिवार दिक्कत में ना फंसे. साथ ही मेडिकल इंश्योरेंस भी जरूर लें ताकि किसी तरह की बीमारी आदि होने पर हॉस्पिटलाइज होने की स्थिति में आपके ज्यादा पैसे खर्च ना हों.
5- होम लोन की ईएमआई का रखें ध्यान
हर किसी का सपना होता है कि वह अपना खुद का घर ले. बेशक आपका भी ये सपना होगा, लेकिन उसके लिए जरूरी है कि होम लोन लेते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखें. होम लोन लेते वक्त आपको सबसे ज्यादा जिस बात का ध्यान रखना चाहिए वह ये है कि आपको अपनी मंथली ईएमआई पर कंट्रोल रखना होगा.
आपकी ईएमआई आपकी In Hand सैलरी के 30 फीसदी हिस्से से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर पति-पत्नी दोनों ही पैसे कमाते हैं तो इसे आसानी से आप सैलरी के 50-60 फीसदी तक ले जा सकते हैं.
होम लोन की अवधि जितनी कम रहेगी, आपको ब्याज उतना ही कम चुकाना होगा, लेकिन इससे ईएमआई का बोझ बढ़ता है. तो लोन लेते वक्त ब्याज कम चुकाने की जरूर सोचें, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि कहीं आप पर अतिरिक्त बोझ ना पड़ जाए.
6- रिस्की इन्वेस्टमेंट को करें डायवर्सिफाई
अगर आप इक्विटी, म्यूचुअल फंड आदि में भी निवेश करते हैं तो आपको थोड़ी सी और कैलकुलेशन करनी होगी. अपने कुल बचत का इक्विटी या म्यूचुअल फंड में सिर्फ 20-30 फीसदी ही निवेश करें. उसमें भी यह ध्यान रखें कि सारे पैसे एक ही जगह ना लगाकर अलग-अलग जगह लगाएं, ताकि नुकसान के चांस कम से कम हो सकें.
7- इमरजेंसी फंड जरूर बनाएं
किसी की भी जिंदगी में कभी भी इमरजेंसी आ सकती है. ऐसे में एक इमरजेंसी फंड जरूर बनाएं और इसे भी अपने बचत लक्ष्यों में से एक रखें. ज्यादा नहीं, लेकिन अपनी सैलरी का कम से कम 3-5 फीसदी हिस्सा इसमें हर महीने निवेश करते जाएं. ऐसे में अगर कभी कोई इमरजेंसी आती है तो उसके लिए आपके पास कुछ पैसे मौजूद रहेंगे.